प्रेमी ने अस्पताल में घुसकर की प्रेमिका संध्या चौधरी की हत्या, जानिए पूरा मामला

प्रेमिका संध्या चौधरी की हत्या: संध्या चौधरी सिर्फ़ 18 साल की थीं और वह 12वीं में पढ़ती थीं। संध्या चौधरी का सपना नर्स बनना था। संध्या चौधरी ज़िला अस्पताल नरसिंहपुर मध्यपदेश में प्रशिक्षण ले रही थीं। वह एक मेहनती और सपनों वाली लड़की थीं।

लेकिन 27 जून 2025 को दोपहर लगभग 2:30 बजे मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर स्थित ज़िला अस्पताल की आपातकालीन या ट्रॉमा यूनिट में एक भयावह घटना घटी। उसके प्रेमी ने सबके सामने सरेआम संध्या का चाकू से गला रेतकर उसकी हत्या कर दी।

यह घटना कब और कैसे हुई?

यह घटना 27 जून को दोपहर ढाई से तीन बजे के बीच हुई। जगह नरसिंहपुर ज़िला अस्पताल थी, जहाँ ट्रॉमा सेंटर के बाहर अचानक अफरा तफरी मच गई। अस्पताल में डॉक्टरों, कर्मचारियों, मरीज़ों और रिश्तेदारों की भारी भीड़ थी, लेकिन कोई कुछ नहीं कर सका।

हमलावर युवक का नाम अभिषेक कोष्टी बताया जा रहा है, हालाँकि कुछ जगहों पर उसका नाम संजय कोष्टी भी लिखा है। बताया जा रहा है कि वह पिछले दो सालों से संध्या के साथ रिलेशनशिप में था, लेकिन हाल ही में दोनों के बीच झगड़े और दूरियाँ आ गईं।

प्रेमिका संध्या चौधरी की हत्या

सीसीटीवी फुटेज और मोबाइल वीडियो में साफ़ दिख रहा है कि अभिषेक पहले संध्या को थप्पड़ मारता है, फिर उसे ज़मीन पर पटक देता है और उसकी छाती पर चढ़कर चाकू से कई वार करता है। वह संध्या की गर्दन की नसें काट देता है और तब तक उस पर वार करता है जब तक वह मर नहीं जाती।

सुरक्षाकर्मी कहाँ थे? गार्ड क्या कर रहे थे?

उस समय अस्पताल में कम से कम दो सुरक्षा गार्ड मौजूद थे, लेकिन वे भी हमलावर को नहीं रोक पाए। एक नर्सिंग अधिकारी ने बीच-बचाव करने की कोशिश की, लेकिन आरोपी ने उसे भी जान से मारने की धमकी दी। नतीजतन, कोई भी आगे नहीं आया। अस्पताल के कर्मचारी, मरीज और रिश्तेदार बस तमाशा देखते रहे। कुछ वीडियो बनाते रहे, तो कुछ डर के मारे चुपचाप वहाँ से चले गए।

इस घटना के बाद अस्पताल का माहौल इतना भयावह हो गया कि ट्रॉमा वार्ड में भर्ती 11 में से 8 मरीज डर के मारे अस्पताल छोड़कर चले गए।

संध्या कौन थी?

प्रेमिका संध्या चौधरी की हत्या

संध्या की उम्र लगभग 18-19 साल थी। वह 12वीं कक्षा की छात्रा थी और नर्सिंग की ट्रेनिंग भी ले रही थी। उसका घर सांकल रोड, पटेल वार्ड, लेन नंबर 3, नरसिंहपुर में था।

वह अपने माता-पिता की इकलौती बेटी थी। उसके पिता हीरालाल चौधरी सब्ज़ी बेचते हैं। पूरे परिवार की उम्मीदें संध्या पर टिकी थीं। वह नर्स बनकर घर की हालत सुधारना चाहती थी और बीमार लोगों की सेवा करना उसका सपना था।

आरोपी की पहचान, मानसिकता और गिरफ्तार

घटना के बाद, पुलिस ने आरोपी की पहचान अभिषेक कोष्टी के रूप में की। कुछ लोग उसे संजय कोष्टी भी कहते थे। बताया जा रहा है कि वह पिछले दो सालों से संध्या के साथ रिलेशनशिप में था।

प्रेमिका संध्या चौधरी की हत्या

जनवरी 2025 से ही उसके मन में यह शक था कि संध्या किसी और को पसंद करने लगी है। इसी शक और गुस्से ने मिलकर उसके अंदर ज़हर भर दिया और उसने इतनी खतरनाक साजिश रच डाली।

घटना के बाद वह करीब एक घंटे तक फरार रहा, लेकिन सीसीटीवी फुटेज और वीडियो की मदद से पुलिस ने जल्द ही उसे गिरफ्तार कर लिया।

पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट?

पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टरों ने बताया कि पहले हमले में संध्या की गर्दन की नसें इतनी बुरी तरह कट गई थीं कि उसके बचने की कोई संभावना नहीं थी। चाकू लगते ही खून तेज़ी से बहने लगा और संध्या की मौके पर ही मौत हो गई।

अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था क्यों नाकाम रही?

सिर्फ़ निजी गार्ड, वे भी डर गए

ज़िला अस्पताल में सिर्फ़ निजी सुरक्षा गार्ड ही तैनात थे। उस दिन दो गार्ड मौजूद थे, लेकिन जब हमला हुआ, तो वे डर के मारे पीछे हट गए। आरोपियों ने उन्हें धमकाया भी, जिसके कारण वे कुछ नहीं कर पाए।

सीसीटीवी कैमरे तो लगे थे, लेकिन उनकी रियल-टाइम निगरानी नहीं हो रही थी।

अस्पताल में कैमरे तो लगे थे, लेकिन कोई भी उन कैमरों की लाइव निगरानी नहीं कर रहा था। कैमरा बस रिकॉर्डिंग करता रहा, लेकिन कोई मदद के लिए नहीं आया।

स्टाफ और मरीज भी डर के मारे चुप रहे।

वहाँ मौजूद बाकी मरीजों के रिश्तेदार और अस्पताल का कोई भी स्टाफ आगे नहीं आया। कुछ लोग डर के मारे चुपचाप हट गए, तो कुछ वीडियो बनाते रहे। ऐसा लग रहा था जैसे किसी को समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या करें।

सिविल सर्जन डॉ. जीपी चौरसिया ने कहा?

सिविल सर्जन डॉ. जीपी चौरसिया ने खुद माना कि अस्पताल में तैनात निजी गार्ड इतनी गंभीर स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त नहीं थे। उन्होंने साफ कहा कि राज्य पुलिस बल की भारी कमी है और अस्पतालों को और सुरक्षा की जरूरत है।

सुरक्षा और असली हकीकत

जब भी कोई हादसा हो जाता है, तो हर कोई खुद को सही साबित करने में लग जाता है। कहते हैं, हमारे यहां सारी सुरक्षा थी, गार्ड थे, कैमरा चालू था। पर हकीकत में ऐसा कुछ नहीं होता।

ज्यादातर पैसे बचाने के चक्कर में बूढ़े गार्ड रख लेते हैं, जो ना वक्त पर दौड़ पाते हैं, ना किसी को रोक पाते हैं। ऊपर से कैमरे या तो खराब रहते हैं या बस नाम के लिए लगे होते हैं। टेक्नोलॉजी पुरानी होती है, और चलती भी नहीं ठीक से।

अगर आने वाले वक्त को सोचकर अच्छे गार्ड, बढ़िया टेक्नोलॉजी और सही सुरक्षा रखी जाए, तो कई हादसे टल सकते हैं। लेकिन आजकल तो बस पैसा कमाने की होड़ है, इंसान की जान की कोई कीमत नहीं रही।


आपका क्या कहना है? नीचे जरूर बताएं।

भावपूर्ण श्रद्धांजलि – संध्या चौधरी

नर्स बनने का सपना लिए संध्या इस दुनिया से चली गई। ईश्वर उसे शांति दे और परिवार को शक्ति। ओम् शांति। 💐💐


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