मध्यप्रदेश को कभी भारत का दिल कहा जाता है। लेकिन आज जब हम प्रदेश की बेटियों और महिलाओं की सुरक्षा की बात करते हैं, तो तस्वीर बिल्कुल अलग नज़र आती है। मध्यपदेश में पिछले कुछ सालों में महिलाएं और लड़कियां लापता होने के मामले जिस तेज़ी से बढ़े हैं, वह किसी बड़े संकट से कम नहीं है।
NCRB (नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो) की रिपोर्ट के मुताबिक 2017 से अब तक यानी 2025 तक लाखों लड़कियां और महिलाएं लापता हो चुकी हैं। अभी भी इनमें से बड़ी संख्या में मामले सुलझ नहीं पाए हैं। कई लड़कियाँ लापता हैं, जबकि कुछ मामले मानव तस्करी, घरेलू हिंसा, जबरन शादी या अपराध का शिकार हुए।
मध्यप्रदेश में हर साल महिलाएं और लड़कियां लापता के आंकड़े?
2017
2017 में देशभर में करीब 1,29,000 लोग लापता हुए थे। जिनमें से अकेले मध्यप्रदेश से 13,200 से ज्यादा लड़कियां और महिलाएं लापता हुईं थी। मध्य प्रदेश का यह आंकड़ा देश के दूसरे राज्यों से कहीं ज्यादा था। इनमें से ज्यादातर मामले ग्रामीण इलाकों और आदिवासी इलाकों से थे।
इस साल सरकार की तरफ से कोई बड़ा अभियान नहीं चलाया गया, सिर्फ FIR दर्ज करने और तलाशी लेने की साधारण प्रक्रिया चलती रही। और आखिरकार इसे बंद कर दिया गया।
2018
2018 में यह आंकड़ा और बढ़ गया। Report के मुताबिक मध्य प्रदेश से 15,670 महिलाएं और 3,950 लड़कियाँ लापता हुईं। यह वह समय था जब राज्य में महिलाओं की सुरक्षा के लिए कोई खास रणनीति नहीं बनाई गई।
ज्यादातर मामलों में या तो FIR दर्ज नहीं की गई या फिर पुलिस ने यह कहकर केस बंद कर दिया कि वह घर से भाग गई थी। जबकि कई मामलों में मानव तस्करी की पुष्टि हुई, लेकिन कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की गई।
2019
2019 में लापता महिलाओं और लड़कियों के मामले में मध्यप्रदेश देश में पहले नंबर पर था। कुल 55,000 से ज़्यादा मामले दर्ज किए गए, जिनमें 38,234 लड़कियां और 16,766 महिलाएं शामिल थीं।
इस साल सरकार ने ‘ऑपरेशन मुस्कान’ चलाया, लेकिन इसका असर बहुत सीमित रहा। ज़्यादातर ग्रामीण इलाकों में लोग अभी भी पुलिस के पास जाने से डरते हैं।
2020
2020 में कोरोना महामारी के चलते कई राज्यों में Lockdown लगा दिया गया और लोगों के इधर उधर जाने पर पाबंदी लगा दी गई, जिससे यह ग़लत फ़हमी फैल गई कि गुमशुदगी के मामले कम हो गए हैं।
लेकिन हकीकत यह थी कि 2020 में भी MP से 29,000 से ज़्यादा लड़कियां और महिलाएं लापता हुईं। इनमें से कई मामले महीनों बाद दर्ज किए गए, क्योंकि लोग पुलिस थानों तक नहीं पहुँच पाए।
2021
2021 में NCRB के आंकड़ों ने सबको चौंका दिया। अकेले मध्यप्रदेश से 1,60,180 महिलाएं और 38,234 लड़कियाँ लापता हुईं थी। यह अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा था।
इस साल बालिका गृह, अनाथालय और स्कूल छात्रावासों से भी लड़कियों के लापता होने की घटनाएं सामने आईं। यह राज्य सरकार के लिए सबसे शर्मनाक सालों में से एक रहा।
2022
2022 में यह आंकड़ा थोड़ा कम हुआ लेकिन चिंता खत्म नहीं हुई थी। इस साल करीब 1,25,000 महिलाएं और लड़कियाँ लापता हुईं थी। मीडिया और विपक्ष ने सरकार को घेरा लेकिन जमीनी स्तर पर कोई बदलाव नहीं हुआ।
यह साल सिर्फ राजनीतिक बयानबाजी में बीता। आंकड़े बोलते रहे और बेटियां लापता होती रहीं। लेकिन कोई खास नतीजा सामने नहीं आया।
2023
2023 तक के आंकड़ों के मुताबिक पिछले 6 सालों में देशभर में 2,75,125 बच्चे लापता हुए, जिनमें से 2,12,825 लड़कियां थीं। मध्यप्रदेश शीर्ष 3 राज्यों में शामिल रहा, जिसमें पश्चिम बंगाल और कर्नाटक शामिल थे।
अकेले MP की बात करें तो इस साल करीब 42,000 महिलाएं और 9,200 लड़कियाँ लापता हुईं थी। एक बार फिर ‘ऑपरेशन मुस्कान’ का जिक्र हुआ, लेकिन नतीजे नाकाफी साबित हुए।
2024
2024 में महिलाओं की तस्करी और गुमशुदगी के तरीकों में बदलाव देखने को मिला। Social Media, Instagram, Facebook जैसे प्लेटफॉर्म के जरिए लड़कियों को फंसाया जाने लगा।
इस साल MP से करीब 38,000 महिलाएं और 8,500 लड़कियां लापता हुईं। पुलिस ने कई गिरोहों का पर्दाफाश किया, लेकिन यह तो बस एक झलक थी।
2025 – अब तक की स्थिति
2025 के पहले 6 महीनों में ही 19,000 महिलाएं और 4,200 लड़कियां लापता हो चुकी हैं। अगर यही रफ्तार रही तो साल के अंत तक यह आंकड़ा 45,000 को पार कर सकता है।
हर दिन इतनी महिलाएं एवं लड़कियां लापता होती है
मध्यप्रदेश में महिलाओं और लड़कियों की लापता आंकड़ों के अनुसार, हर दिन औसतन 28 महिलाएं और 3 लड़कियां होती है लापता। जिसमें बच्चों, लड़कों और आदमियों का अलग आंकड़ा है।
हालांकि, यह भी ध्यान देने योग्य है कि गुमशुदगी के सभी मामले आधिकारिक रूप से दर्ज नहीं किए जाते। कई बार सामाजिक डर, परिवार की बदनामी या पुलिस कार्रवाई में भरोसे की कमी के कारण लोग शिकायत दर्ज नहीं कराते। ऐसे में असली संख्या और भी ज्यादा हो सकती है, जो इस समस्या की भयावहता को और बढ़ा देती है।
लापता मिलने के आंकड़े
हालांकि हर साल कुछ महिलाएं एवं लड़कियों को ढूंढ निकलते है। लेकिन हजारों की तादाद में नहीं मिलती है।
2025 में पिछले 6 महीनों में (जनवरी से जून तक) 3400 से ज्यादा लड़कियां मिल चुकी हे लेकिन लापता आंकड़े से ना के बराबर में आंकड़े हे ये।
2021 से जून 2025 तक Operation Muskan के तहत 17,669 लापता लड़कियों का पता लगाया गया है।
क्यों हो रही हैं महिलाएं और लड़कियां लापता?
1. मानव तस्करी
आज भी कई सक्रिय ग्रुप हैं जो लड़कियों को नौकरी, मॉडलिंग या शादी के बहाने उठाते हैं। और फिर उन्हें दूसरे राज्यों या देशों में बेच देते हैं। बाद में इन महिलाओं को घरेलू नौकरानी, वेश्यावृत्ति या अवैध काम में धकेल दिया जाता है।
2. घरेलू हिंसा और उत्पीड़न
घरों में मारपीट, दुर्व्यवहार और जबरदस्ती का माहौल कई महिलाओं को अपना घर छोड़ने पर मजबूर कर देता है। कई बार ये महिलाएं बिना किसी को बताए चली जाती हैं और फिर लापता हो जाती हैं क्योंकि उनके पास वापस लौटने का कोई रास्ता नहीं होता।
3. बाल विवाह और जबरन शादी
13 से 17 साल की लड़कियों को अक्सर जबरदस्ती या दबाव में शादी के लिए उठा लिया जाता है। कुछ मामलों में, परिवार के लोग खुद ही शादी तय कर देते हैं और बाद में लड़की का कोई पता नहीं चलता।
4. ऑनलाइन धोखाधड़ी और प्रेम जाल
आजकल कुछ लोग सोशल मीडिया पर फर्जी प्रोफाइल बनाकर लड़कियों को फंसाते हैं। उनका भरोसा जीतने के बाद उन्हें घर से भागने के लिए कहते हैं और फिर उन्हें गलत जगहों पर ले जाकर बेच देते हैं या उनका शोषण करते हैं।
5. पुलिस की लापरवाही और सुस्ती
कई बार तो पुलिस लड़की के लापता होने पर FIR तक दर्ज नहीं करती। कुछ मामलों में तो वे कहते हैं, वह खुद चली गई है या जल्द ही वापस आ जाएगी, जिससे शुरुआती समय बर्बाद होता है और लड़की का पता लगाना मुश्किल हो जाता है।
6. स्कूल और कॉलेज जाने वाली लड़कियां असुरक्षित
स्कूल और कॉलेज जाने वाली लड़कियां रास्ते में ही परेशान, पीछा किए जाने या झूठे प्यार के जाल में फंसकर गायब हो जाती हैं। कई बार तो लड़का शादी का वादा करके लड़की को अपने साथ ले जाता है और बाद में उसे छोड़ देता है।
7. कमज़ोर कानून और राजनीतिक दबाव
महिलाओं के लिए बनाए गए सख्त कानूनों को लागू करने में लापरवाही बरती जाती है। कई मामलों में आरोपी प्रभावशाली होते हैं, जिससे पुलिस या प्रशासन दबाव में आकर कमज़ोर कार्रवाई करता है।
8. गरीबी और अशिक्षा
गरीब और अशिक्षित परिवारों में लड़कियों के लापता होने को गंभीरता से नहीं लिया जाता। कई बार माता पिता खुद पुलिस के पास नहीं जाते क्योंकि उन्हें सिस्टम की जानकारी नहीं होती। यही वजह है कि कई मामले दर्ज ही नहीं होते।
सवाल जिनके जवाब चाहिए?
1. सरकार इन आंकड़ों पर कब गंभीरता से कार्रवाई करेगी?
2. ऑपरेशन मुस्कान जैसे अभियानों की समीक्षा कौन करेगा?
3. पुलिस में महिलाओं की संख्या क्यों नहीं बढ़ रही है?
4. लापता लड़कियों के बचाव के आंकड़े सार्वजनिक क्यों नहीं किए जाते?
5. कब तक लड़कियां पीड़ित बनती रहेंगी और सरकार मूकदर्शक बनी रहेगी?
क्या हर बार की तरह बाद में ही आँखें खुलेंगी?
जब भी कोई बड़ी घटना होती है, तो सबको होश आ जाता है। नेता दौरे पर निकल जाते हैं, टीवी वाले बड़ी-बड़ी बहसें करने लगते हैं,
सोशल मीडिया स्टेटस और कैंडल मार्च से भर जाता है। Justice for…”, बड़ी बड़ी बातें करते हैं। लेकिन जब हर दिन बेटियाँ खो रही होती हैं, तो न तो सरकार जागती है और न ही बड़े चैनलों को फुर्सत मिलती है।
हर दिन कोई लड़की गायब होती है, किसी की बहन, किसी की बेटी, किसी का सपना। लेकिन अफ़सोस, वे सिर्फ़ संख्याएँ ही रह जाती हैं – 10, 100, 1000… और बढ़ती ही रहती हैं।
जब आँकड़े आसमान छूने लगते हैं, तब भी सिर्फ़ कागजी फ़ैसले लिए जाते हैं। कोई बड़ा कदम नहीं उठाया जाता। जब कोई बेटी किसी वहशी दरिंदे का शिकार बनती है, तभी सब भागते हैं, फ़ोटो खिंचवाते हैं, भाषण देते हैं।
और हां उन गरीब मां-बाप या गांवों का क्या जिनकी बेटी महीनों से गायब है? उनके लिए तो कोई कैंडल तक नहीं जलती, कोई चैनल उनका Interview नहीं दिखाता, और ना हरकोई ट्रेंड नहीं बनता?
बात साफ़ है, हम लोग सिर्फ बड़ी खबर का इंतज़ार करते हैं, इंसानियत की पुकार सुनने की आदत अब रही नहीं।
दोस्तों, मेरी आप सभी से बस एक छोटी सी विनती है?
अगर आपके आस-पास कोई लड़की या महिला अचानक से दिखना बंद हो जाए, तो चुप मत रहिए। पूछिए, पता लगाइए, मदद कीजिए। पुलिस पर दबाव डालिए, केस दर्ज करवाइए। कानून को अपना काम ठीक से करने के लिए मजबूर कीजिए।
हर छोटी सी कोशिश फर्क लाती है। अगर हम सब सतर्क रहेंगे, तो कम से कम कुछ बेटियाँ तो बच जाएँगी। कुछ परिवारों की उम्मीदें नहीं टूटेंगी। क्योंकि अगर आज किसी और की बेटी गायब हो रही है, तो कल ये घटना आपके घर भी आ सकती है।
हम सबको एक साथ खड़ा होना होगा, आवाज़ उठानी होगी। – जय हिंद 🙏🏻 जय भारत 🇮🇳
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