नई दिल्ली: देश की दिग्गज एयरलाइन जेट एयरवेज के पुनरुद्धार को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा आदेश दिया है। यह फैसला जालान-कलरॉक कंसोर्टियम (JKC) द्वारा प्रस्तावित पुनरुद्धार योजना की विफलता के कारण लिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में स्पष्ट निर्देश दिए हैं और इस प्रक्रिया को अब राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (National Company Law Tribunal) द्वारा लागू किया जाएगा।
जेट एयरवेज के संस्थापक नरेश गोयल और शेयर्स
नरेश गोयल ने 1993 में जेट एयरवेज की स्थापना की, जो भारत की अग्रणी निजी एयरलाइन बनी। उनके नेतृत्व में यह दो दशकों तक प्रमुख रही, लेकिन वित्तीय संकट और कर्ज के कारण 2019 में संचालन बंद हो गया। शुरुआत में गोयल और उनकी कंपनी टेल्विन इन्वेस्टमेंट्स की 51% हिस्सेदारी थी और शेष 49% हिस्सेदारी विभिन्न सार्वजनिक निवेशकों, संस्थागत निवेशकों और अन्य कर्जदाताओं के पास थी। 2013 में Etihad Airways ने 24% हिस्सेदारी खरीदी। 2019 मे जलान-कलरॉक कंसोर्टियम (JKC) ने पुनरुद्धार की कोशिश की, लेकिन योजना विफल रही। कर्जदाताओं और निवेशकों की हिस्सेदारी के बावजूद, अब एयरलाइन परिसमापन प्रक्रिया में है।
2019 से परिचालन और पुनरुद्धार के प्रयास
वित्तीय संकट के कारण जेट एयरवेज ने अप्रैल 2019 से परिचालन बंद कर दिया था। JKC ने इसके पुनरुद्धार (सुधार करना या ठीक करना) के लिए एक विस्तृत योजना प्रस्तुत की थी, जिसे पहले राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT) ने मंजूरी दे दी थी। इस योजना के तहत JKC को एयरलाइन का स्वामित्व और इसे फिर से संचालित करने की जिम्मेदारी दी गई थी।
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जेट एयरवेज की वापसी या समापन
सुप्रीम कोर्ट ने JKC की पुनरुद्धार योजना को असफल करार देते हुए इसे "विफल योजना" घोषित किया। क्युकी हिस्सेदार की समिति (COC) ने योजना को संतोषजनक नहीं पाया। साथ ही, JKC कोर्ट और बैंक द्वारा निर्धारित 200 करोड़ रुपये की राशि जमा करने की शर्तों को पूरा करने में विफल रहा। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने JKC द्वारा जमा की गई 200 करोड़ रुपये की राशि को जब्त करने का आदेश दिया। क्योंकि 200 करोड़ रुपये की यह राशि कंसोर्टियम द्वारा जेट एयरवेज के रिवाइवल प्लान के तहत सुरक्षा के तौर पर जमा की गई थी। यह कहा जा सकता है कि रिवाइवल प्लान के तहत यह पैसा खर्च किया गया था लेकिन शर्तों का पालन न करने के कारण सुप्रीम कोर्ट ने इस राशि को जब्त करने का आदेश दिया।
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा और आख़री फैसला
अब NCLT एक परिसमापक नियुक्त करेगा। यह परिसमापक जेट एयरवेज की संपत्तियों का मूल्यांकन करेगा और उन्हें बेचकर ऋणदाताओं का बकाया चुकाने की कोशिश करेगा। परिसमापन प्रक्रिया में एयरलाइन की सभी संपत्तियां, जैसे हवाई जहाज, उपकरण और अन्य संपत्तियां शामिल होंगी। यह परिसमापन प्रक्रिया जेट एयरवेज के वित्तीय पुनर्निर्माण और भविष्य की दिशा को तय करने में भी अहम साबित होगी।
कर्मचारियों और हितधारकों को झटका
इस फैसले के साथ ही जेट एयरवेज के पुनरुद्धार की सभी संभावनाएं खत्म हो गई हैं। यह एयरलाइन के हजारों कर्मचारियों और अन्य हितधारकों के लिए बड़ा झटका है, जो पिछले कुछ सालों से इसके पुनरुद्धार की उम्मीद कर रहे थे। एयरलाइन के कर्मचारियों को अपनी नौकरी वापस मिलने की जो उम्मीद थी, वह भी अब खत्म हो गई है। यह फैसला कर्मचारियों के लिए निराशा का कारण बना, और साथ ही एयरलाइन के भविष्य में निवेश करने वाले पक्षों के लिए भी विश्वास की कमी पैदा की है।
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वित्तीय अनुशासन का आवश्यक संदेश
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने हाई-प्रोफाइल वित्तीय मामलों में सख्त अनुशासन और प्रतिबद्धता के महत्व को रेखांकित किया है। कोर्ट ने स्पष्ट संदेश दिया कि ऋणदाताओं की अपेक्षाओं और कानूनी प्रक्रियाओं का सम्मान करना अनिवार्य है। यह निर्णय अन्य कंपनियों के लिए भी एक मिसाल कायम करेगा कि पुनरुद्धार योजनाओं को व्यवहार में लागू किया जाना चाहिए, न कि केवल कागजों पर।
जेट एयरवेज: एक ऐतिहासिक अध्याय का अंत
जेट एयरवेज, जिसे कभी भारत की प्रमुख और विश्वसनीय एयरलाइनों में से एक माना जाता था, अब अपने ऐतिहासिक सफर का अंत देख रही है। 1993 में स्थापित इस एयरलाइन ने कई सालों तक भारतीय विमानन उद्योग में अहम स्थान बनाए रखा, लेकिन वित्तीय संकट और कर्ज के बोझ तले दबकर 2019 में इसका संचालन बंद हो गया। जलान-कलरॉक कंसोर्टियम द्वारा पुनरुद्धार की योजना भी विफल रही, जिससे एयरलाइन का परिसमापन हुआ। इस फैसले ने न केवल जेट एयरवेज के कर्मचारियों और निवेशकों को निराश किया, बल्कि भारतीय विमानन क्षेत्र में एक बड़े बदलाव का संकेत भी दिया।
जेट एयरवेज के बंद होने का दुख आपको अपने शब्दों में व्यक्त करके जेट एयरवेज को अलविदा कहना चाहिए।